पंजाब विश्वविद्यालय में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ के कार्यान्वयन पर दो दिवसीय सम्मेलन का सफल समापन
चंडीगढ़ ( परसन बर्मन): पंजाब विश्वविद्यालय में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ का कार्यान्वयन" के महत्वपूर्ण विषय पर उत्तरी क्षेत्र के कुलपतियों का दो दिवसीय सम्मेलन दूसरे दिन दस विषयगत सत्रों के संचालन के साथ शुरू हुआ, जिसमें कार्यान्वयन के मुद्दों और एनईपी 2020 के लिए चुनौतियों से संबंधित विषयों पर समग्र रूप से विचार-विमर्श किया गया। ये सत्र ‘बहुविषयक और समग्र शिक्षा’, ‘डिजिटल और ऑनलाइन शिक्षा’, ‘कौशल विकास और रोज़गार’, ‘भारतीय ज्ञान-परम्परा तथा भारतीय भाषाएँ’, ‘शिक्षा का अंतर-राष्ट्रीयकरण’, ‘न्यायसंगत तथा समावेशी शिक्षा’ आदि विषयों पर केन्द्रित थे। इन विभिन्न सत्रों में अनेक संस्तुतियां दी गयीं जैसे ऑनलाइन शिक्षा को ऑफ लाइन शिक्षा की तरह मज़बूत बनाया जाए तथा इसकी गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए, केस स्टडी और व्यावहारिक कार्य के माध्यम से अनुभवात्मक सीखने और प्रशिक्षण पर बल दिया जाए, अनुसंधान को अधिक प्रभावी बनाने के लिए समाज, उद्योग और नैतिकता से संबंधित मुद्दों को संबोधित किया जाए , अनुसंधान कार्य के साथ-साथ स्टार्ट-अप और क्षमता निर्माण पर पाठ्यक्रम इनक्यूबेशन केंद्रों का फोकस किया जाए, विश्वविद्यालयों में इनक्यूबेशन केन्द्रों को सुदृढ़ किए जाए आदि।
विचार-विमर्श के बाद पंजाब विश्वविद्यालय के लॉ ऑडिटोरियम में पॉवर-पॉइंट प्रस्तुतियों के माध्यम से सभी विषयगत सत्रों में आयोजित चर्चाओं और संस्तुतियों पर सामूहिक विचार-मंथन किया गया। इस चर्चा के भोजनावकाश-पूर्व सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने की तथा भोजन के बाद के सत्र की अध्यक्षता हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर टंकेश्वर कुमार ने की। पंजाब विश्वविद्यालय की माननीया कुलपति प्रो रेणु विग भी सभी सत्रों में उपस्थित रहीं। प्रत्येक प्रस्तुति के बाद प्रश्न और उत्तर सत्र आयोजित किया गया। यह पॉवर-पॉइंट प्रस्तुति सत्र सुबह 11:00 बजे शुरू हुआ, जिसमें प्रत्येक सत्र के अध्यक्ष द्वारा कार्यान्वयन रणनीतियों पर प्रस्तुति दी गई। यूजीसी के अध्यक्ष प्रोफेसर जगदीश ने सवालों का जवाब देते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों/उच्च शिक्षा संस्थानों को प्रैक्टिस के प्रोफेसरों को आमंत्रित करना चाहिए जो पाठ्यक्रमो को डिजाइन करने में मदद कर सकते हैं और उनके इनपुट महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि सभी को कौशल प्रदान करने के लिए देश भर में 5000 कौशल केंद्र स्थापित किए जाएंगे ताकि कौशल हीन स्नातकों के बजाय स्कूल छोड़ने वाले रोजगार योग्य बन सकें।
इन दस सत्रों के अतिरिक्त दो विशेष सत्र भी आयोजित किये गए । पहला सत्र ‘एन ई पी सारथी’ पर केन्द्रित था जिसमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने उत्तरी क्षेत्र के 8 विश्वविद्यालयों के 33 प्रतिनिधि-विद्यार्थियों (सारथियों) के साथ सार्थक संवाद किया तथा बड़े धैर्य के साथ उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया। उन्होंने ‘अकेडमिक बैंक ऑफ़ क्रेडिट’ तथा ‘मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट’ पर विस्तार से चर्चा की तथा स्वतंत्रता, चयन तथा लचीलापन जैसे लक्ष्यों हेतु विद्यार्थियों को प्रेरित किया।
दूसरा विशेष सत्र ‘भारतीय भाषायों’ पर केन्द्रित रहा जिसमें भारतीय भाषायों में पुस्तकों तथा अध्ययन -सामग्री के निर्माण पर चर्चा हुई। ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ विद्यार्थियों को मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने पर बल देती है, अतः आवश्यक है कि भारत की विभिन्न भाषायों में पाठ्य-सामग्री तथा स्तरीय पुस्तकें उपलब्ध हों। प्रस्तुत सत्र इसी उद्देश्य को समर्पित था।
यूजीसी के संयुक्त सचिव डॉ. अविचल कपूर ने सम्मेलन की मेजबानी के लिए पंजाब विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने यूजीसी स्तर पर की जा रही विभिन्न पहलों का सारांश दिया और कुलपतियों से आग्रह किया कि विश्वविद्यालय आपस में क्लस्टर बनाएं और हमारे शिक्षार्थियों को सर्वोत्तम अवसर प्रदान करें।
सभी प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को सही भावना में लागू करने के लिए सभी हितधारकों द्वारा प्रयास किए जाने चाहिए।
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