सीमा सड़क संगठन में महिलाएं: परिवर्तन की अग्रदूत
चंडीगढ़ (विकास कुमार यादव ) सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) में, 1960 में इसकी स्थापना के बाद से कार्य की प्रकृति और देश की भूमि सीमाओं के साथ-साथ सर्वाधिक खतरनाक मौसम की स्थिति के तहत कठिन क्षेत्रों में सड़कों को काटने के लिए लंबे समय तक दूरस्थ-नियुक्ति के लिए केवल पुरुष अधिकारी तैनात थे। दो दशक पहले, कुछेक महिला अधिकारी बी आर ओ में शामिल होने लगीं, लेकिन जमीनी कार्यों के खतरों को ध्यान में रखते हुए उन्हें केवल स्टाफ नियुक्तियों में ही कार्यरत किया गया। महानिदेशक सीमा सड़क संगठन द्वारा 08 मार्च, 2021 को वर्तमान सरकार की थीम 'नारी सशक्तीकरण' के अनुरूप महिला अधिकारियों को लिंग समानता वातावरण प्रदान करने के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया और पहली महिला अधिकारी ईई (सिविल) वैशाली एस हिवासे को एक सड़क निर्माण कंपनी (आरसीसी) की ऑफिसर कमांडिंग(ओसी) के रूप में तैनात किया गया। उन्होंने 28 अप्रैल, 2021 को अपना कार्यभार संभाला और उन्हें उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मुनशियारी को मिलम ग्लेशियर से जोड़ने वाली बीआरओ की सबसे कठिन सड़कों में से एक की जिम्मेदारी दी गई। इसके तुरंत बाद, ईई (सिविल) ओबिन ताकी को अरुणाचल प्रदेश की दुर्गम सियांग घाटी में सड़कों और पुलों के निर्माण के लिए आरसीसी के ऑफिसर कमांडिंग के रूप
में नियुक्त किया गया।
इस पहल की सफलता के बाद, चमोली जिले के पीपलकोटी में एक पूर्ण महिला आरसीसी की स्थापना की गई और मेजर आइना राणा को 30 अगस्त, 2021 को इस आरसीसी की कमान सौंपी गई। विशेष बात यह थी कि, उनके अधीन सभी तीन प्लाटून कमांडर भी महिला अधिकारी थीं। उन पर माणा दर्रे तक सड़कों के विकास की जिम्मेदारी थीं, जो उमलिंगला के बाद देश का दूसरा सबसे ऊंचा दर्रा है और 18,478 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। उनके गतिशील नेतृत्व में आरसीसी ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। 22 अक्तूबर, 2022 को प्रधानमंत्री माणा गांव आये और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस सड़क के माणा पास तक चौड़ीकरण की आधारशिला रखी।
कश्मीर घाटी में तैनात एक फील्ड वर्कशॉप की ऑफिसर कमांडिंग कर्नल नवनीत दुग्गल सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण स्थान पर एक वर्कशॉप की कमान संभालने वाली पहली ईएमई अधिकारी भी बनी, जिन्होंने सबसे कठिन इलाके में सड़क निर्माण गतिविधियों के लिए तकनीकी सहायता सुनिश्चित की। लेफ्टिनेंट कर्नल (अब कर्नल) स्निग्धा शर्मा बीआरओ के मुख्यालय में कानूनी सेल की प्रमुख बनने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं। उन्होंने संगठन की कानूनी अखंडता को बरकरार रखते हुए 700 से अधिक अदालती मामलों का कुशलतापूर्वक प्रबंधन किया। अपनी उप इकाइयों का नेतृत्व करते हुए इन सभी महिला अधिकारियों की सफलता और विलक्षण उपलब्धियों ने न केवल लिंग संबंधी बाधाओं को तोड़ दिया, बल्कि बीआरओ के भीतर उत्कृष्टता के नए मानक भी स्थापित किए।
इस पहल को आगे बढ़ाते हुए, कर्नल अर्चना सूद को फरवरी 2023 में अरुणाचल प्रदेश के जीरो में एक टास्क फोर्स के कमांडर के रूप में नियुक्त किया गया। वह बीआरओ में टास्क फोर्स का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं। वह अरुणाचल प्रदेश की दिबांग घाटी में सड़कों के विकास का बेहतरीन काम कर रही हैं। जून 2023 में, कर्नल पोनुंग डोमिंग को हेनले, लद्दाख में एक टास्क फोर्स का नेतृत्व करने के लिए चुना गया, जिन्हें रणनीतिक रूप से कुछ अत्यधिक महत्वपूर्ण बीआरओ परियोजनाओं को संभालने के लिए विशेष रूप से स्थानांतरित किया गया था। चुमार सेक्टर में लिकरू-मिगला-फुकचे को जोड़ने वाली दुनिया की सबसे ऊंची 19400 फीट की सड़क के निर्माण में सहायता के लिए उनके स्टाफ में दो और महिला अधिकारी नियुक्त की गई।एलएसी के पास न्योमा और चुशुल - डुंगती - फुकचे - डेमचोक रोड पर सबसे कठिन परिस्थितियों में दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध एयर बेस है। हेनले टास्क फोर्स 15000 फीट पर स्थित दुनिया की सबसे ऊंचे क्षेत्र में स्थित निर्माण एजेंसी है। वह डेमचोक को चिसुमले से जोड़ने वाली उमलिंगला में दुनिया की सबसे ऊंची सड़क का रखरखाव करने के लिए भी जिम्मेदार है।
बीआरओ का आज दृढ़ विश्वास है कि राष्ट्र निर्माण के प्रयास में महिलाएं हमेशा सक्रिय भागीदार रहेंगी। महिला सशक्तीकरण के प्रति बीआरओ के बहुआयामी दृष्टिकोण में रोजगार भूमिकाओं में विविधता, लिंग तटस्थ वातावरण में मार्ग प्रशस्त करना, उचित स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच, साहसिक/खेल के अवसर और समग्र रूप से विकसित होने के लिए प्रोत्साहन शामिल हैं, क्योंकि महिलाएं जीवन के सभी क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभाती हैं। "आज़ादी का अमृत महोत्सव" मनाते हुए, बीआरओ ने विभिन्न अभियानों में अपनी ताकत और भावना का प्रदर्शन करते हुए, महिलाओं के नेतृत्व वाली ऐतिहासिक साहसिक गतिविधियों का समर्थन किया। मुख्य आकर्षणों में माउंटेन ट्रैकिंग, व्हाइट वॉटर राफ्टिंग और साइकिलिंग से जुड़ा एक बहु-विषयक अभियान, पर्यावरण चेतना को बढ़ावा देने वाली एक पूरी तरह से महिला इलेक्ट्रिक वाहन रैली शामिल है।
बीआरओ के इतिहास में पहली बार महिलाओं को कमान सौंपी गई। यह एक गेम-चेंजर था, क्योंकि महिला अधिकारियों ने अपनी क्षमता साबित करने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत की। इन महिला अधिकारियों ने अन्य महिलाओं के लिए बड़ी संख्या में बीआरओ में शामिल होने और बदले में अपनी क्षमताओं का सर्वोत्तम प्रदर्शन करने के लिए पथप्रदर्शक के रूप में काम किया है। उनके ईमानदार प्रयासों ने न केवल परियोजना की समय-सीमा में तेजी लाई है, बल्कि अन्य संगठनों के लिए अनुकरण के लिए एक प्रभावी और प्रेरक मॉडल के रूप में भी काम किया है। सरकार सक्रिय रूप से लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रही है और यह पहल रक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास के विभिन्न क्षेत्रों में उनके मौजूदगी की साक्ष्य है, जहां बीआरओ महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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