तीन दिवसीय दिव्य सत्संग 'जिन खोजा तिन पाइया' का समापन
चंडीगढ़ (प्रोसन बर्मन): शिवानंद आश्रम, सेक्टर 29 में तीन दिवसीय दिव्य सत्संग जिन खोजा तिन पाइया का स्वामी धर्मनिष्ठानंदा जी महाराज के प्रवचनों एवम भजन कीर्तन के साथ समापन हो गया।
आज के सत्र का सुभारम्भ शिवानंद आश्रम ऋषिकेश से आए स्वामी धर्मनिष्ठानंदा जी महाराज के द्वारा ध्यान साधना से हुआ जिसमें स्वामी जी ने अष्टांग योग के बारे में विस्तार से बता कर चार प्रकार के प्राणायामों के बारे में प्रकाश डाला। जिनमें पूरक प्राणायाम, रेचक प्राणायाम, कुम्भक प्राणायाम और पूर्ण कुम्भक प्राणायाम शामिल हैं। स्वामी जी ने कहा कि गुरु के समीप रह कर सेवा करना ही गुरु की सच्ची भक्ति नहीं है बल्कि भगवान प्राप्ति के सुझाए गए मार्ग एवं गुरु उपदेश को सही तरीके से मानने और आत्मसात करने में भी उनकी सच्ची भक्ति निहित है। स्वामी जी ने कहा कि सभी शाखाओं को सद्गुरु स्वामी शिवानंद जी महाराज एवं सद्गुरु स्वामी चिदानंद जी महाराज द्वारा सर्व जगत के कल्याण हेतु बताए गए महामन्त्र का महीने में एक बार 24 घण्टे के लिए निरन्तर जप करना चाहिए।
आज श्री पंकज जी द्वारा रामचरितमानस के मुख्य व्याख्याओं के साथ साथ मधुर भजन संकीर्तन से दिव्य जीवन संघ के भक्तजन निहाल हुए।
दिव्य जीवन संघ की जालन्धर शाखा से एवं कालका शाखा के भक्तजनों ने अपने मधुर भजनों से अच्छा समां बांधा। आखीरी सत्र में स्वामियों के द्वारा जिन खोजा तिन पाइया शीर्षक नामक पुस्तक का विमोचन किया व भाग लेने वाले सभी भक्तजनों को प्रसाद के साथ वितरित किया।
साथ इस अवसर पर दिव्य जीवन संघ, चंडीगढ़ के सभी पदादिकारियों ने भाग लिया जिनमें सर्वश्री एफ लाल कांसल जी, सुमन महाजन, डॉ रमणीक शर्मा, दर्शन कुमार, संजीव आनन्द, राम अवतार, चन्द्रमोहन जी, सुभाष जी, योगाचार्य संदीप शर्मा इत्यादि शामिल थे।
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