आचार्य विद्यासागर जी के शरीर का कण-कण और जीवन का क्षण-क्षण धर्म, संस्कृति और राष्ट्र को समर्पित रहा: अमित शाह
चंडीगढ़, केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री तथा भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में आचार्य गुरु विद्यासागर जी महाराज के प्रथम समाधि स्मृति महोत्सव के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में यह स्पष्ट किया कि, ‘आचार्य विद्यासागर जी के शरीर का कण-कण और जीवन का क्षण-क्षण धर्म, संस्कृति और राष्ट्र को समर्पित रहा है।’ इस मौके पर अमित शाह ने आचार्य विद्यासागर जी की स्मृति में 100 रुपये का स्मारक सिक्का, डाक विभाग का 5 रुपये का विशेष लिफाफा, 108 चरण चिन्हों व चित्र का लोकार्पण और प्रस्तावित समाधि स्मारक ‘विद्यायतन’ का शिलान्यास भी किया। आचार्य जी के समाधि की पहली वर्षगाँठ पर उनके स्मारक में 100 रुपये का सिक्का और 5 रुपये का लिफाफा जारी करने का अनुमोदन करके मोदी जी ने संत परंपरा का सम्मान किया है।
नए भारत के निर्माता अमित शाह ने संबोधित किया कि आचार्य विद्यासागर जी महाराज एक युग पुरुष थे, जिन्होंने एक नए विचार और नए युग का प्रवर्तन किया। कर्नाटक में जन्मे एक बालक अपने तप और साधना से भारतीय संस्कृति, भारतीय भाषाएँ और भारत की पहचान के ज्योतिर्धर बने। इतिहास में शायद ही यह सम्मान किसी ऐसे धार्मिक संत को मिला होगा, जिन्होंने धर्म के साथ-साथ देश की पहचान की व्याख्या विश्व भर में की हो। जैन मुनियों ने ज्ञान का सृजन भी किया, देश को एकता के सूत्र में भी बाँधा और गुलामी के कालखंड में राष्ट्रीय चेतना की लौ को भी जलाए रखा। भारतीय संस्कृति और परंपराओं के संरक्षक शाह ने माना कि ‘मूकमाटी’ महाकाव्य के रचनाकार आचार्य जी ने अंतिम साँस तक ‘मनसा वाचा कर्मणा’ की तर्ज पर राष्ट्र धर्म का निर्वहन करने का काम किया। आचार्य विद्यासागर जी ने भारतीय भाषाओं के संवर्धन, देश के गौरव
का विश्वभर में प्रसार और देश की पहचान ‘इंडिया’ की बजाए ‘भारत’ से होने पर जोर दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके विचार का अक्षरशः पालन करते हुए जी-20 सम्मेलन के निमंत्रण पत्र पर ‘प्राइम मिनिस्टर ऑफ इंडिया’ नहीं बल्कि ‘प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत’ लिख कर जमीन पर उतारने का काम बखूबी किया। आचार्य विद्यासागर जी ने न केवल जैन धर्म के अनुयायियों को बल्कि दूसरे धर्म के अनुयायियों को भी अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा से मोक्ष का मार्ग बताने का काम किया।
आचार्य विद्यासागर जी का संदेश, प्रवचन व लेखन जैन समुदाय के साथ-साथ पूरे राष्ट्र के लिए अनमोल धरोहर है। आचार्य जी का मानना था कि जिस देश में अनेक भाषाएँ, लिपियाँ और बोलियाँ हों और अलग-अलग प्रकार के व्याकरण और गाथाएँ हों, वह देश सांस्कृतिक रूप से उतना ही समृद्ध होता है। आचार्य विद्यासागर जी ने ‘अहिंसा परमो धर्म:’ और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के सिद्धांत की व्याख्या कर इसे प्रचारित करने का काम किया, जिसे मोदी जी के नेतृत्व और अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन में पूरे विश्व में स्थापित करने का काम किया जा रहा है।
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