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पश्चिम बंगाल में बीजेपी बनाएगी आई-पैक जैसी चुनावी रणनीति टीम, आरएसएस का समर्थन

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) एक पेशेवर राजनीतिक विश्लेषण टीम बना रही है, जो चुनावी रणनीति तैयार करेगी। यह टीम प्रशांत किशोर की आई-पैक (I-PAC) की तर्ज पर काम करेगी और आरएसएस (RSS) के समर्थन से संचालित होगी।

सूत्रों के अनुसार, यह नया संगठन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की हिंदुत्व केंद्रित विचारधारा के अनुरूप काम करेगा और जमीनी स्तर पर सर्वेक्षण करेगा। खासतौर पर आर्थिक रूप से कमजोर तबकों में अध्ययन कर सरकार की विफलताओं को उजागर किया जाएगा। इससे पहले, इस तरह की रणनीति दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) की कथित नाकामियों को सामने ला


ने के लिए अपनाई गई थी, और अब बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) पर फोकस किया जाएगा। बीजेपी की इस विश्लेषण टीम का मुख्य उद्देश्य बंगाल के 42 लोकसभा क्षेत्रों में राजनीतिक घटनाक्रम, शासन की कमियों, जातिगत समीकरणों और स्थानीय मुद्दों पर वास्तविक समय का डेटा जुटाना होगा। इससे चुनाव प्रचार और उम्मीदवार चयन की रणनीति को धार मिलेगी। 

युवा पेशेवरों की भर्ती शुरू

बीजेपी समर्थित यह टीम हिंदुत्व विचारधारा से जुड़े युवा पेशेवरों की भर्ती कर रही है। उम्मीदवार की उम्र 35 वर्ष से कम होनी चाहिए और उसके पास स्नातक की डिग्री अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। साथ ही, कंप्यूटर और तकनीकी कौशल, विशेषकर MS Office और Google टूल्स में दक्षता आवश्यक है। दोपहिया वाहन, स्मार्टफोन और लैपटॉप का ज्ञान भी अनिवार्य शर्तों में शामिल है। चयनित युवाओं को हर महीने ₹35,000 का वेतन दिया जाएगा। आरएसएस के सदस्यों को प्राथमिकता मिलेगी, लेकिन अन्य हिंदुत्व संगठनों से जुड़े लोग भी आवेदन कर सकते हैं।

बीजेपी का बंगाल में बढ़ता दांव

2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में 18 सीटें जीती थीं, जिससे तृणमूल कांग्रेस की राजनीतिक बढ़त को बड़ा झटका लगा था। लेकिन 2021 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को अपेक्षा से काफी कम 77 सीटें मिलीं। 2024 के लोकसभा चुनावों में भी पार्टी को 8 सीटों का नुकसान हुआ और उसका आंकड़ा 12 सीटों तक सिमट गया। हालांकि, मिदनापुर जिले के कांथी और तमलुक में बीजेपी को बढ़त मिली।आई-पैक का जवाब देने की तैयारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 27 फरवरी को तृणमूल नेताओं को निर्देश दिया कि वे आगामी चुनावी रणनीति के लिए आई-पैक के साथ काम करना जारी रखें। इसके जवाब में, बीजेपी अपनी खुद की राजनीतिक शोध टीम तैयार कर रही है, जो जमीनी स्तर पर चुनावी गणित को मजबूत करने में मदद करेगी।बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने इस पहल पर खुलकर कुछ नहीं कहा, लेकिन पार्टी के एक प्रमुख विचारक ने टिप्पणी की, "ऐसा कोई आधिकारिक फैसला नहीं हुआ है। लेकिन अगर पढ़े-लिखे युवाओं को एक शोध संगठन में रोजगार मिलता है, तो इसमें कोई हानि नहीं है।" उन्होंने आई-पैक की भूमिका की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि 2021 के चुनाव बाद हुई हिंसा के लिए इस संगठन ने कोई जिम्मेदारी नहीं ली।

2026 के चुनावी समर की तैयारी

जैसे-जैसे 2026 के विधानसभा  नजदीक आ रहे हैं, बंगाल में राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को धार देने में जुट गए हैं। बीजेपी की यह नई पहल चुनावी परिदृश्य में बड़ा बदलाव ला सकती है। अब देखना यह होगा कि यह नया दांव पार्टी के लिए कितना फायदेमंद साबित होता है।

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