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मायापुर में इस्कॉन भक्तों की एंट्री पर रोक, बांग्लादेशी सरकार पर धार्मिक भेदभाव का आरोप

 कोलकाता/ढाका: इस्कॉन के वैश्विक मुख्यालय मायापुर में श्री चैतन्य महाप्रभु के 539वें प्रकटोत्सव महोत्सव में भाग लेने के लिए बांग्लादेश से आने वाले करीब 2,500 इस्कॉन भक्तों को भारत का वीजा नहीं मिला। यह महोत्सव 10 फरवरी से 16 मार्च तक आयोजित किया जा रहा है, जिसमें दुनियाभर से हजारों भक्त शामिल होते हैं। लेकिन इस बार बांग्लादेशी भक्तों को वीजा न मिलने से धार्मिक संगठनों और इस्कॉन समुदाय में नाराजगी देखी जा रही है।

बांग्लादेश सरकार पर लगाए जा रहे गंभीर आरोप बांग्लादेशी भक्तों ने ग्रुप टूरिस्ट वीजा के लिए महीनों पहले आवेदन किया था, लेकिन उन्हें यात्रा की अनुमति नहीं दी गई। इस्कॉन और हिंदू संगठनों का आरोप है कि यह बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस का जानबूझकर उठाया गया कदम है, जिससे हिंदू धार्मिक गतिविधियों को दबाया जा सके। गौरतलब है कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। हाल ही में, इस्कॉन के प्रमुख संत चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन पर झंडे के अपमान का आरोप लगाया गया, जिसके बाद से भारत और अन्य देशों में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद, बांग्लादेशी सरकार अपने रुख पर अड़ी हुई है। धार्मिक नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया भारत के प्रतिष्ठित संतों ने बांग्लादेशी भक्तों को वीजा न दिए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के महामंडलेश्वर स्वामी परमत्मानंद जी महाराज ने मायापुर की आध्यात्मिक महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा, "मायापुर वह स्थान है जहां पांच पवित्र नदियों—भागीरथी, अलकनंदा, गोदावरी, यमुना और सरस्वती—का सं


गम होता है। यह हिंदू धर्म के लिए अत्यंत पवित्र स्थल है। ऐसे में इस्कॉन भक्तों को यहां आने से रोकना धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा प्रहार है।"इस्कॉन के पब्लिक रिलेशंस ऑफिसर रासिक गौरांग दास ने सीधे तौर पर टिप्पणी करने से बचते हुए केवल इतना कहा कि इस बार बांग्लादेशी भक्तों की संख्या में भारी कमी आई है। अन्य देशों के भक्तों की भारी उपस्थिति जहां एक ओर बांग्लादेशी भक्तों को मायापुर आने से रोका गया, वहीं अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, जापान, संयुक्त अरब अमीरात और अफ्रीका जैसे देशों से 10,000 से अधिक भक्त इस महोत्सव में शामिल हो रहे हैं। इसके अलावा, नवद्वीप के नौ द्वीपों की 72 किलोमीटर लंबी भव्य परिक्रमा में भारत के विभिन्न राज्यों से करीब 85,000 भक्त भाग ले रहे हैं। राजनीतिक हस्तक्षेप की संभावना भारतीय संसद की गृह मामलों की संसदीय समिति के सदस्य एवं सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने कहा कि वह इस मामले को विदेश मंत्रालय के समक्ष उठाएंगे। स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ा दी है, नदी घाटों और मंदिर परिसर में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है, और तीर्थयात्रियों के लिए चिकित्सा सहायता शिविर भी लगाए गए हैं।

मायापुर के विकास की मांग तेज

राष्ट्रीय सामाजिक न्याय एवं सामाजिक जांच ब्यूरो के राष्ट्रीय सदस्य कृष्णेंदु गोस्वामी ने केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार से मायापुर के बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता देने की अपील की है। उन्होंने सुझाव दिया कि कृष्णानगर से मायापुर के लिए ट्रेनों और सड़कों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए ताकि भक्तों की बढ़ती संख्या को समायोजित किया जा सके। धार्मिक स्वतंत्रता पर सवाल

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति पहले से ही चिंताजनक बनी हुई है। इस्कॉन भक्तों को वीजा न देना इसी दिशा में एक और कदम माना जा रहा है। इस घटना से दोनों देशों के बीच संबंधों में और तनाव आने की संभावना है। अब देखना यह होगा कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच बांग्लादेशी सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करती है या नहीं।

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