कोर्ट के फैसले से नौकरी गंवाने वाले 26,000 शिक्षकों को ममता बनर्जी का आश्वासन – “योग्य उम्मीदवारों को दो महीने में मिलेगी नौकरी”
कोलकाता, (सौम्य चक्रवर्ती): सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति की 2016 की पैनल को “संस्थागत भ्रष्टाचार” बताते हुए असंवैधानिक घोषित कर दिया गया, जिसके चलते करीब 26,000 शिक्षक रातों-रात बेरोजगार हो गए। इनमें से लगभग 7,000 को “अयोग्य” करार दिया गया, जबकि बाकी के दस्तावेजों में अस्पष्टता के कारण उनकी स्थिति तय नहीं हो पाई। सोमवार को नेताजी इंडोर स्टेडियम में इन बेरोजगार शिक्षकों की एक बड़ी सभा हुई, जहां पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आश्वासन दिया कि सभी “योग्य” शिक्षकों को राज्य सरकार दो महीनों के भीतर फिर से नौकरी देगी। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार आपकी नौकरी की पूरी ज़िम्मेदारी लेती है। आपकी सेवा को टूटी हुई नहीं मानी जाएगी।”
मुख्यमंत्री ने शिक्षकों से अपील की कि वे औप
चारिक आदेश आने तक स्वेच्छा से अपने स्कूलों में पढ़ाना जारी रखें। “आपको स्कूल जाने से कोई नहीं रोकेगा। यदि संभव हो तो स्वेच्छा से काम करते रहें। दो महीने की कठिनाई बीस साल का सुख देगी,” उन्होंने कहा। ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे किसी “षड्यंत्र” का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा, “जो परीक्षाएं पास कर चुके हैं और अच्छा प्रदर्शन किया है, उन्हें अब चोर कहा जा रहा है? क्या यही न्याय है? हम आशा करते हैं कि न्याय की आवाज़ अनसुनी नहीं होगी।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर स्पष्टीकरण मांगेगी और योग्य उम्मीदवारों की सूची की मांग करेगी। “हम जानना चाहते हैं कि योग्य घोषित लोगों का क्या होगा। यदि न्याय नहीं मिला, तो हमारे पास वैकल्पिक योजनाएं हैं।”अयोग्य घोषित लोगों के लिए ममता ने कहा, “पहले योग्य लोगों की व्यवस्था हो जाने दीजिए। यदि कोई अयोग्य साबित होता है, तो कुछ नहीं किया जा सकता।” बनर्जी ने इसके साथ ही केंद्र सरकार और बीजेपी पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “क्या आपने मध्यप्रदेश की व्यापमं घोटाले को भूल गए? NEET परीक्षा में भी घोटाला हुआ था, लेकिन वहां किसी की नौकरी नहीं गई। क्या सिर्फ बंगाल में ही सब कुछ साजिश है? बंगाल की शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने की साजिश हो रही है।”
उन्होंने स्पष्ट किया, “जब तक मैं जिंदा हूं, किसी योग्य शिक्षक की नौकरी नहीं जाएगी। आपको भीख मांगनी नहीं पड़ेगी। हम निर्मम नहीं हैं।” यह रैली भावनात्मक अपीलों, जोशीले नारों और उम्मीद की एक किरण के साथ संपन्न हुई — कि न्याय मिलेगा और नौकरियां बहाल होंगी।
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