चितकारा इंटरनेशनल स्कूल के इनोवेटर, आर्यन मधु चितकारा ने सकुरा साइंस एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत जापान का किया दौरा
चंडीगढ़ ( प्रोसन बर्मन ) :एक महत्वपूर्ण उपलब्धि में, चितकारा इंटरनेशनल स्कूल में 12वीं कक्षा के छात्र आर्यन मधु चितकारा ने हाल ही में प्रतिष्ठित जापान-एशिया यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम में भाग लेने के लिए जापान का दौरा किया। सकुरा साइंस एक्सचेंज प्रोग्राम, जापान की विज्ञान और प्रौद्योगिकी एजेंसी (जेएसटी) द्वारा समर्थित है। विज्ञान में उत्कृष्टता को पहचानने और पुरस्कृत करने के लिए, भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित, इनोवेशन इन साइंस परस्यूट फॉर इंस्पायर्ड रिसर्च अवार्ड्स इंस्पायर - मानक स्कीम में आर्यन के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए आर्यन मधु चितकारा को यह मौका मिला। जापान में इस अवसर के लिए लगभग 6 लाख आवेदक प्रतिस्पर्धा में थे, जिसमें आर्यन को सफलता मिली।
विज्ञान में जापान-एशिया युवा एक्सचेंज प्रोग्राम अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक सहयोग और एस.टी.ई.एम् (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस कार्यक्रम के लिए आर्यन का चयन उनकी नवोन्मेषी भावना, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति समर्पण और समग्र शैक्षणिक कौशल का प्रमाण है।इस यात्रा के दौरान आर्यन को जापान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की एक झलक देखने को मिली इसके अलावा उसे जाक्सा त्सुकुबा स्पेस सेंटर में अत्याधुनिक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और साइबरडाइन स्टूडियो में रोबोटिक्स में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने का अवसर मिला। यात्रा के एक भाग के रूप में, आर्यन ने जापान में अध्ययन के बारे में इंटरैक्टिव सत्रों में सक्रिय रूप से भाग लिया और अपनी इनोवेटिव रचना कम्युनिकेटर मास्क को कई स्थानों पर प्रदर्शित भी किया।
सकुरा साइंस हाई स्कूल प्रोग्राम (एस.एस.एच.पी.) सकुरा साइंस एक्सचेंज प्रोग्राम के एक भाग के रूप में शुरू किया गया था जिसमें 14 देशों से युवाओं को आमंत्रित किया जाता है। जापान विज्ञान और प्रौद्योगिकी एजेंसी (जेएसटी) द्वारा समन्वित, एस.एस.एच.पी. इन एक्सचेंज कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए विदेशों से उत्कृष्ट हाई स्कूल छात्रों और पर्यवेक्षकों को एक सप्ताह के लिए जापान में आमंत्रित करता है। कार्यक्रम का उद्देश्य उत्कृष्ट प्रतिभाओं का समर्थन करके वैश्विक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास में योगदान देना है।
कार्यक्रम के दौरान एस.एस.एच.पी. द्वारा प्रतिभागियों के लिए प्रख्यात वैज्ञानिकों के नेतृत्व में विशेष कक्षाओं का आयोजन , जापान के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों का दौरा, जापान के हाई स्कूल विद्यार्थियों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान, दूतावास का दौरा और जापानी संस्कृति के गहन अनुभव प्रदान करने का अवसर देती है। इसके अलावा, सकुरा साइंस हाई स्कूल प्रोग्राम विश्व स्तर पर महत्वाकांक्षी दिमागों को जोड़ने वाले एक पुल के रूप में कार्य करता है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सामूहिक उन्नति में योगदान देता है।
अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए, आर्यन चितकारा ने कहा, “इस एक सप्ताह के दौरान मुझे जापान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, जैक्सा त्सुकुबा स्पेस सेंटर में अत्याधुनिक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और साइबरडाइन स्टूडियो में रोबोटिक्स में अंतर्दृष्टि का अनुभव करने का अवसर मिला। मैंने अपने दो मॉडल - "आर्गोनिक कल्चर" और "कम्युनिकेटर मास्क" को भी प्रदर्शित किया, जिन्हें इनोवेशन इन साइंस परस्यूट फॉर इंस्पायर्ड रिसर्च (इंस्पायर), स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एस.सी.ई.आर.टी) सहित प्रसिद्ध प्लेटफार्मों पर पहले भारत में भी प्रस्तुत किया गया हैं ।
अपनी अन्य उप्लाभ्धियों में आर्यन ने अब तक चार पेटेंट भी दाखिल किए हैं और उन्हें पहले चंडीगढ़ शहर के लिए स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) 2.0 और स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के ब्रांड एंबेसडर के रूप में भी नियुक्त किया गया था और चंडीगढ़ शहर में यह ख़िताब उन्हें सबसे कम उम्र में मिला। आर्यन की उपलब्धियों में राज्य स्तरीय विज्ञान, गणित और पर्यावरण प्रदर्शनी 2019 में सस्टेनेबल एग्रीकल्चर प्रक्टिस पर उनके द्वारा बनाये मॉडल को मिली मान्यता भी शामिल है। उन्हें राष्ट्रपति भवन में नवाचार और उद्यमिता महोत्सव 2023 में "द कम्युनिकेटर मास्क" प्रस्तुत करने का सौभाग्य मिला, जहां उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से प्रशंसा भी प्राप्त की।
आर्यन ने कहा कि मेरी यह सभी उपलब्धियाँ मेरे स्कूल, अध्यापकों, स्टाफ सदस्यों और माता-पिता के समर्थन के साथ संयुक्त और समर्पित कड़ी मेहनत का परिणाम हैं, जो हमेशा से मेरी ताकत के स्तंभ रहे हैं और उन्होंने मुझे अपनी क्षमता का पता लगाने के लिए हर बार प्रोत्साहित किया हैं। भारत सरकार, इंस्पायर, एस.सी.ई.आर.टी, एस.एस.एच.पी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह जी और अन्य सभी को भी धन्यवाद देना चाहता हूँ जिन्होंने मेरी मदद करने में मौलिक भूमिका निभाई और मैं यह उपलब्धि हासिल कर पाया ।''
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