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सरस मेले में बुजुर्गों और विकलांगों के सेल्फ हेल्प ग्रुप्स भी पेश कर रहे है मिसाल

चंडीगढ़, (प्रोसन बर्मन )सेक्टर 34 स्थित एग्जीबिशन ग्राउंड में हिमाचल प्रदेश सरकार के ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय के अधीन रुरल लाईवलीहुड मिशन द्वारा आयोजित किये जा रहे सरस मेले में जहां एक और महिला सशक्तिकरण के एक से एक सजग उदाहरण देखने को मिल रहे हैं वहीं दूसरी और समाज के अन्य वर्ग भी अपनी काबलियत को प्रदर्शन


कर रहे हैं। मेले में एक स्टाल में वरिष्ठ नागरिकों द्वारा गठित सेल्फ हैल्प ग्रुप आर्कषक का केन्द्र बना हुआ है जहां वे विजिटर्स उनके जज्बे को सलाम कर रहे हैं। जिला शिमला के चौपाल से आये 76 वर्षीय मणिराम और 62 वर्षीय सुखराम हस्तनिर्मित उत्पादो की व्यापक रेंज स्थानीय लोगों के सम्मुख पेश कर रहे है। खण्ड वृद्धजन फेडरेशन, चैपाल के अधीन 78 सेल्फ हेल्प ग्रुप्स में लगभग 700 से 750 वरिष्ठ नागरिक जुड़े हुये है। जो कि अपने अनुभव और वरिष्ठता के चलते खुद के लिये आमदन का सहारा बने हुये हैं। ग्रुप सरस मेले में एप्पल चटनी, घी, दालें, मसाले, विभिन्न प्रकार के आटा सहित अन्य हस्त निर्मित सामग्रियों की खासा सेल कर रहे हैं।

वहीं दूसरी और बुशहर विकलांग सेल्फ हैल्प ग्रुप के सदस्य अपनी विकलांगता को दरकिनार कर स्वरोजगारिकता एक बेहतरीन मिसाल पेश कर रहे है। शिमला जिले के रामपुर स्थित इस समूह में लगभग चालीस विकलांग सदस्य हैं जो कि मूल रुप से हैंडलूम्स के उत्पादों को तैयार कर चंडीगढ़ जैसे शहरों में आयोजित प्रदर्शनीयों मे बेचते हैं। समूह की मेले में अगुवाई कर रहे लेखराज ने बताया कि उनके सदस्य दिल्ली से लेकर उडीसा तक अपने उत्पादों को प्रदर्शित करते हैं। स्टाल में उन की पट्टी, जैकेट्स, महिलाओं और पुरुषों के परिधान, स्टाल्स, मफलर्स, किन्नौरी टोपियां आदि शामिल हैं।

रुरल लाईलिहुड मिशन की सीईओ कल्याणी गुप्ता ने बताया कि मंत्रालय का प्रयास न केवल ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना है बल्कि ग्रामीण समाज के उस वर्ग को भी प्रोत्साहित करना जिन्हें मार्गदर्शन की जरुरत होती है।

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