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‘विकसित भारत@2047’ के लक्ष्य में योगदान

चंडीगढ़ (प्रोसन बर्मन):  फिक्की के महासचिव एस के पाठक ने विकसित भारत को लेकर अपने विचार साँझा किए।  उन्होंने कहा कि फिक्की ने ‘विकसित भारत@2047’ के लक्ष्य में योगदान करने वाली चार प्रमुख बातों की पहचान की है। ये बातें हमारी 2024 की प्राथमिकताएं हैं: मेक-इन-इंडिया, महिलाओं की अगुवाई में विकास, कृषि क्षेत्र में समृद्धि और स्थिरता। यही कारण है कि हमें 27 फरवरी 2024 को 'विकसित भारत और उद्योग' पर एक सम्मेलन की मेजबानी करने का सौभाग्य मिला, जिसे भारत सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों एवं उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियों ने संबोधित किया।

एस के पाठक ने कहा दुनिया के विकास के इंजन के रूप में, भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह स्थिति अगले दशक और उससे आगे तक भी जारी रहेगी। हमारे उद्योग जगत के सदस्य पहले से ही भारत में विकास की तेज गति के साक्षी बने हुए हैं। विनिर्माण से संबंधित फिक्की के ताजा सर्वेक्षण से टिकाऊ और निरंतर विकास का पता चलता है। इस सर्वेक्षण में, कुल 73 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने तीसरी तिमाही में उच्च उत्पादन स्तर की जानकारी दी है और 87 प्रतिशत ने वित्तीय वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में उच्च या समान स्तर के उत्पादन की जानकारी दी है। भविष्य में होने वाले निवेश से जुड़ा अनुमान भी स्थिर दिखाई दे रहा है– 50 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने निवेश और विस्तार की योजनाओं का संकेत दिया। फिक्की यह सुनिश्चित करेगा कि मांग और निवेश से जुड़ा वर्तमान आशावाद लंबी अवधि में भी जारी रहे।

माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने और  उसे ‘विकसित भारत’ में बदलने का सपना इस देश में उपलब्ध प्रतिभा, संसाधनों और शक्ति का लाभ उठाकर साकार किया जाएगा। जहां जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी), लोकतंत्र (डेमोक्रेसी) और मांग (डिमांड) तीन ऐसे ‘डी’ हैं जो भारत को एक अंतर्निहित लाभ प्रदान करते हैं, वहीं दो और ‘डी’ भी हैं– निर्णायक (डिसाइसिव) और दृढ़ (डिटर्मिन्ड)– जिन पर आधारित दृष्टिकोण नीति निर्माण और तेज गति एवं व्यापक पैमाने पर कार्यान्वयन सुनिश्चित करके हमें विकासशील भारत @ 2047 का विश्वास दिलाता है।

हम दुनिया का कारखाना बन सकते हैं और भारत की जीडीपी में विनिर्माण की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत तक ले जा सकते हैं। इससे आज के स्तर से 16 गुना वृद्धि सुनिश्चित होगी। कुल 14 क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं नौकरियां और निर्यात बढ़ाने में सफल रही हैं। अनेक नीतिगत उपाय किए गए हैं और हम सकारात्मक परिणामों की आशा करते हैं। इसी तरह, ‘नारी शक्ति’ पर हमारा ध्यान समग्र आर्थिक विकास सुनिश्चित करने की दिशा में महिलाओं की अगुवाई वाले विकास एवं महिला सशक्तिकरण पर स्वागतयोग्य तरीके से जोर दे रहा है। विभिन्न अध्ययनों से यह पता चलता है कि रोजगार और आय के मामले में लैंगिक आधार पर पाये जाने वाले भेदभाव को कम करने से देशों को प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में 20 प्रतिशत की वृद्धि और धन में 14 प्रतिशत की वृद्धि हासिल करने में मदद मिल सकती है। भारत शुरू से अंत तक निर्यात मूल्य श्रृंखलाओं को मजबूत करके, कृषि से जुड़े बुनियादी ढांचे को उन्नत बनाकर, भरोसेमंद कार्यप्रणालियों को अपनाकर और समग्र कृषि इकोसिस्टम में बेहतर दक्षता के लिए तकनीकी उपाय करके दुनिया के लिए ‘खाद्यान्नों का कटोरा’ बन सकता है। इनमें से कई काम पहले से ही किए जा रहे हैं। स्थिरता के मामले में, भारत अमीर एवं प्रति व्यक्ति उच्च उत्सर्जन करने वाले देशों की तुलना में कहीं अधिक काम कर रहा है। इसका एक उदाहरण सौर ऊर्जा उत्पादन में आया उल्लेखनीय उछाल है। हरित नीतियों और हरित व्यवसायों की दिशा में यह गति जारी रहेगी। एस के पाठक ने कहा भारत के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम है। हमने भारत के सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे के निर्माण में शानदार प्रदर्शन किया है। हमारे वित्तीय समावेशन और एकीकृत भुगतान इंटरफेस की सफलता पूरी दुनिया में एक मिसाल बन गई है। ये उपलब्धियां भारत के डिजिटल बदलाव की दिशा में महज शुरुआत भर हैं। असल में बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण और कार्यान्वयन पर दिया गया अभूतपूर्व ध्यान, चाहे वह भौतिक हो, डिजिटल हो या फिर सामाजिक, सभी बड़े एवं छोटे व्यवसायों के लिए एक गुणात्मक अंतर पैदा कर रहा है। बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए कोष रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं। इसके अलावा, गहन निगरानी और सशक्तिकरण द्वारा बुनियादी ढांचे से जुड़ी बड़ी एवं जटिल परियोजनाओं को समय पर और निर्धारित लागत के भीतर पूरा किया जा रहा है। इसी तरह, गरीबों के लिए अच्छी तरह से लक्षित करके बनाये गये सुरक्षा जाल समानता और निष्पक्षता के साथ काम कर रहे हैं, ताकि कोई भी पीछे न छूटे। इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण 'जल जीवन मिशन' है, जिसके तहत ग्रामीण परिवारों को उनके घर में पाइप से पानी की आपूर्ति अगस्त 2019 में 17 प्रतिशत से बढ़कर फरवरी 2024 में 75 प्रतिशत हो गई। इन लाभार्थियों में 112 मिलियन ग्रामीण महिलाओं की वह अतिरिक्त संख्या भी शामिल है, जिन्होंने कभी अपने घरों में नल से पानी की कल्पना भी नहीं की थी।

'इंडियाज़ सेंचुरी' - मैकिन्से एंड कंपनी के साथ फिक्की की बहु-वर्षीय पहल- का भारत की विकास क्षमता का दोहन करने की कार्ययोजना के साथ 2022 में शुभारंभ किया गया था। रिपोर्ट का अनुमान है कि भारत 2047 तक 7.7 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि के साथ 40 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बन सकता है। इससे 60 करोड़ नौकरियां पैदा होंगी और प्रति व्यक्ति आय बढ़कर दस लाख (1 मिलियन) रुपये हो जाएगी। इस लक्ष्य को साकार करने हेतु भारत को चार क्षमताओं के निर्माण पर अपना ध्यान जारी रखने की आवश्यकता है। ये क्षमताएं हैं- नवाचार; एसएमई का विस्तार, कौशल विकास और पूंजी बाजार को मजबूत बनाना।

1. नवाचार को प्राथमिकता: भारत को न केवल लागत या गुणवत्ता बल्कि प्रौद्योगिकी-आधारित नवाचारों के मामले में भी प्रतिस्पर्धा करनी होगी। वास्तव में, हाल ही में अंतरिम बजट 2024-25 में निजी क्षेत्र को उभरते हुए नये क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देने हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एक लाख करोड़ रुपये की घोषणा की गई है, जो बेहद सराहनीय है। हम आने वाले दिनों में इसके प्रभावी कार्यान्वयन और उपयोग की आशा करते हैं।2. एमएसएमई का विस्तार जरूरी है। हमारी समकक्ष उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भारत की तुलना में प्रति ट्रिलियन डॉलर सकल घरेलू उत्पाद में मध्यम एवं बड़ी आकार की कंपनियों की संख्या लगभग दोगुनी है। अकाउंट एग्रीगेटर और ओपन क्रेडिट इनेबलमेंट नेटवर्क फ्रेमवर्क का लाभ उठाने वाले डिजिटल ऋण से संबंधित उपायों के साथ कम लागत वाली पूंजी तक पहुंच सुनिश्चित करना और एमएसएमई पर नियामक एवं अनुपालन संबंधी बोझ को कम करने का काम पहले ही किया जा चुका है। अगले दशक में और भी बहुत कुछ किया जाएगा, जिसमें मध्यम स्तर वाले उद्योग को एमएसएमई दायरे से आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना भी शामिल है।3. निर्माण जैसे रोजगारोन्मुख क्षेत्रों में भारत की बढ़ती श्रमशक्ति को कुशल बनाना हमारा फोकस है। भारत की अनुकूल जनसांख्यिकी का लाभ केवल इस मानव पूंजी को आधुनिक एवं भविष्य के लिए उपयुक्त शिक्षा प्रणाली से लैस करके ही उठाया जा सकता है।4. भारत के व्यवसायों को कम पूंजी की लागत और किफायती वित्त पोषण की आवश्यकता है। हमारे पास एक व्यापक वित्तीय इकोसिस्टम है जो तेजी से विकसित हो रहा है। हालांकि, उधार की प्रमुख दरों को कम करने, एमएसएमई के लिए पूंजी सुलभ कराने के रचनात्मक उपाय करने, अनुबंधों को लागू करने और विवाद के समाधान की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है। 

फिक्की 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने हेतु उद्योग जगत के सदस्यों के साथ-साथ सरकारों के प्रमुख नीति निर्माताओं के साथ मिलकर काम करना चाहता है। भारत की आर्थिक क्षमता को दुनिया भर में अच्छी तरह से पहचाना जाता है। हम वैश्विक विनिर्माण केंद्र एवं दुनिया के खाद्यान्न का कटोरा बनने के साथ-साथ सेवाओं के अग्रणी निर्यातक भी हो सकते हैं। फिक्की को विश्वास है कि 2047 तक आगामी अमृत काल के दौरान हम अपने देश में अभूतपूर्व विकास के साक्षी बनेंगे।

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