PGIMER में "HIV अपडेट 2025" पर विशेषज्ञों ने दी अहम जानकारियां
चंडीगढ़, "एचआईवी की रोकथाम और उपचार में कितना बदलाव आया है?" – इसी सवाल के जवाब में पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन एचआईवी केयर ने मंगलवार को "HIV अपडेट 2025" पर सतत चिकित्सा शिक्षा (CME) कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में ट्राइसिटी के 230 से अधिक डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्यकर्मियों ने हिस्सा लिया। बेहतर इलाज और जागरूकता की ओर एक कदम कार्यक्रम की शुरुआत एचआईवी परीक्षण पर डॉ. सीमा छाबड़ा के सत्र से हुई, जहां उन्होंने बताया कि शुरुआती जांच कैसे मरीजों की जिंदगी बचा सकती है। डॉ. रविंदर कौर सचदेवा ने एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) पर चर्चा करते हुए कहा, "अगर मरीज अनुशासन के साथ दवा लेते हैं, तो वायरस को काबू में रखना संभव है।" प्रो. अमन शर्मा ने पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (PEP) के महत्व को समझा
या, जिससे संक्रमण के जोखिम को कम किया जा सकता है।एचआईवी से जुड़ी गंभीर समस्याओं पर चर्चाएचआईवी केवल एक वायरस नहीं, बल्कि कई जटिलताओं की जड़ भी बन सकता है। इस पर विशेषज्ञों ने अपने अनुभव साझा किए –फेफड़ों के संक्रमण – डॉ. शंकर नायडू ने बताया कि कैसे टीबी, निमोनिया और अन्य संक्रमणों से मरीजों की जान बचाई जा सकती है। त्वचा रोग और जटिलताएं – डॉ. तरुण नारंग ने बताया कि एडवांस एचआईवी के मरीजों में फंगल इंफेक्शन क्यों गंभीर हो जाता है।मस्तिष्क संक्रमण – प्रो. मनीष मोदी ने एचआईवी से जुड़ी न्यूरोलॉजिकल समस्याओं और उनके इलाज पर प्रकाश डाला। PGIMER की पहल – मरीजों के लिए नई उम्मीदकार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों और चिकित्सकों के बीच चर्चा ने इस विषय को और गहराई से समझने का अवसर दिया। यह आयोजन सिर्फ एक शैक्षणिक सत्र नहीं, बल्कि एचआईवी के खिलाफ जारी लड़ाई में एक और मजबूत कदम था।
कार्यक्रम के अंत में सभी विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि सही जानकारी और जागरूकता ही एचआईवी के प्रभाव को कम करने की कुंजी है। हाई-टी के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ, जहां चिकित्सकों ने आगे की योजनाओं पर चर्चा की।
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