गरीबी से पर्यटन हब तक: शिबाडोंग गांव की अद्भुत यात्रा
शिबाडोंग, हुनान, चीन ( राजीब चक्रवर्ती) कभी चरम गरीबी और वीरानी का प्रतीक रहा शिबाडोंग गांव आज चीन के ग्रामीण गरीबी उन्मूलन और सतत पर्यटन आधारित विकास का चमकता उदाहरण बन चुका है।
बारह वर्ष पहले, नवंबर 2013 में, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हुनान प्रांत के हुआयुआन काउंटी स्थित इस सुदूर गांव का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने "लक्ष्यित गरीबी उन्मूलन" (Targeted Poverty Alleviation) की अवधारणा प्रस्तुत की थी — एक ऐसी रणनीति जो प्रत्येक समुदाय की विशिष्ट परिस्थितियों के अनुसार उन्हें गरीबी से बाहर निकालने के लिए तैयार की गई थी। यह दौरा शिबाडोंग ही नहीं, बल्कि पूरे देश के गरीबी निवारण प्रयासों के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ।
उस समय, शिबाडोंग के निवासी जैसे कि शि पाज़ुआन — जिन्हें स्नेह से "बहन शि" कहा जाता है — कच्चे लकड़ी के मकानों में रहते थे, न टेलीविजन था और न ही उचित बुनियादी ढांचा। शी जिनपिंग के आगमन पर, शि, जो तब 64 वर्ष की थीं, उन्हें पहचान नहीं पाईं। उन्होंने शी को आम अतिथि समझकर अपने जर्जर घर में बुलाया। जब शि ने उनका नाम पूछा, तो शी ने मुस्कुराते हुए कहा, "मुझे जनता का सेवक कह सकती हो," और उन्हें "दाजिए" (चीनी भाषा में बड़ी बहन) कहकर संबोधित किया।2014 में शी के दौरे के बाद, शिबाडोंग में गरीबी उन्मूलन कार्य बल की तैनाती की गई। गांव की प्राकृतिक सुंदरता — हरे-भरे जंगलों, घाटियों और प्रसिद्ध "अठारह गुफाओं" — का उपयोग करते हुए ग्रामीण पर्यटन और पारिस्थितिकीय कृषि का विकास किया गया। उस समय गांव की आबादी लगभग 245 थी, जो मुख्यतः मियाओ (Miao) जातीय समुदाय से संबंधित थी। आज शिबाडोंग पूरी तरह बदल चुका है। वर्ष 2024 में यहां 3 लाख से अधिक पर्यटक आए, जिससे पर्यटन से 30 लाख युआन (लगभग 3.46 करोड़ रुपये) से अधिक की आय हुई। 2013 में जहां प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 2,700 युआन (लगभग 31,000 रुपये) से भी कम थी, वहीं 2024 के अंत तक यह 20,000 युआन (लगभग 2.30 लाख रुपये) से ऊपर पहुंच गई।
गांव की अर्थव्यवस्था अब मुख्य रूप से पर्यटन पर आधारित है। स्था
नीय लोग अब रेस्तरां, पारिवारिक गेस्ट हाउस, हस्तशिल्प की दुकानें चला रहे हैं और पर्यटक गाइड के रूप में काम कर रहे हैं। गांव के स्थानीय उत्पाद जैसे चाय, शहद और मिर्च की चटनी भी बेचे जा रहे हैं।
"हमारे पास खूबसूरत घाटियाँ और प्राकृतिक संपदा हैं, जिनमें अठारह गुफाएं प्रमुख आकर्षण हैं," शिबाडोंग रूरल टूरिज्म कंपनी लिमिटेड के उप महाप्रबंधक और गाइड शी जिनलान ने कहा।
गांव में मियाओ समुदाय की जीवंत संस्कृति भी बड़ी खूबसूरती से प्रदर्शित की जाती है। पर्यटक यहाँ "चाकू की पहाड़ी पर चढ़ाई" और "अग्नि सागर में छलांग" जैसे अद्भुत पारंपरिक प्रदर्शन देख सकते हैं, साथ ही "शरद ऋतु आरंभ महोत्सव" जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग ले सकते हैं।
शिबाडोंग की सफलता चीन के व्यापक गरीबी उन्मूलन प्रयासों का भी प्रतीक है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2020 के अंत तक चीन ने 832 काउंटियों में लगभग 10 करोड़ ग्रामीण निवासियों को गरीबी से बाहर निकाला। आज शिबाडोंग न केवल एक पर्यटन स्थल है, बल्कि संकल्प, दूरदृष्टि और सामुदायिक भागीदारी से बदलाव की जीवंत मिसाल भी बन चुका है। अंतरराष्ट्रीय पर्यटक, शोधकर्ता, विश्वविद्यालय के छात्र और मीडिया प्रतिनिधि — जिनमें भारत-चीन 75 वर्ष द्विपक्षीय आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत यह संवाददाता भी शामिल है — इस गांव की प्रेरणादायक यात्रा का साक्षी बनने आ रहे हैं।76 वर्षीय बहन शि अब अपने संरक्षित लकड़ी के घर के बाहर मुस्कुराते हुए अनगिनत पर्यटकों के साथ तस्वीरें खिंचवाती हैं। शिबाडोंग की कहानी यह साबित करती है: यदि सही दृष्टि, प्रतिबद्धता और सामूहिक प्रयास हो, तो दुनिया के सबसे दूरस्थ गांव भी अपना भाग्य बदल सकते हैं।
Post a Comment