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सप्त सिंधु लिट् फेस्ट में जुटे बुद्धिजीवी ,हुआ सप्त सिंधु सभ्यता पर हुआ मंथन

चंडीगढ़ ( प्रोसन बर्मन ) : युगों-युगों से निरंतर प्रवाहित हो रही प्राचीन सभ्यता के अनेक पहलुओं पर मंथन के प्रयास से  'स्पत सिंधु लिट् फेस्ट( साहित्य उत्सव)' का आगाज़ शुक्रवार को हुआ 16 और 27, 28 और 29 फरवरी को भारत के उपराष्ट्रपति , राज बब्बर , ज


सपिंदर नरूला , जसबीर जस्सी की उपस्थिति में सम्पन्न होगा ।

निवेदिता ट्रस्ट व सप्त सिंधु फोरम द्वारा आयोजित लिट् फेस्ट के पहले  सेशन में मुख्य अतिथि रहे  सुप्रीम कोर्ट के  जस्टिस आदर्श कुमार गोयल  व  सेशन की अध्यक्षता  डॉक्टर निर्मलजीत सिंह कलसी आईएस रिटायर्ड ने की  ,  गेस्ट ऑफ ऑनर रहे राजेंद्र गुप्ता अध्यक्ष ट्राइडेंट ग्रुप  व  स्पीकर व विचार लीडर रहे शौर्य डावल फाउंडर इंडिया फाउंडेशन ऑनलाइन जुड़े व सर्वेश कौशल आईएस रिक्वायर्ड पूर्व चीफ सेक्रेट्री पंजाब सरकार रहे मौजूद।पहले सेशन में जस्टिस गोयल ने आज के युवाओं को अपनी विरासत ,संस्कृति व इतिहास से जुड़ कर , रामायण व महाभारत के पात्रों के  आदर्शों को अपनाते हुए  ही विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर हो सकते हैंदूसरे  सेशन में मुख्य मेहमान रहे  संतोष तनेजा ;  गेस्ट ऑफ ऑनर रहे जस्टिस के सी पुरी व स्पीकर व थिंक टैंक  रहे लेफ्टिनेंट जनरल के जे  सिंह  ; धर्मपाल आईएस रिटायर्ड व  डॉ रेनू ठाकुर , हिस्टोरियन ।

जनरल के जे सिंह ने भारत के स्वर्णिम काल की जानकारी दी , कहा कि पंजाब में ही वेद रचे गए,  गुरुनानक जी की उदासियों , मक्का मदीना भृमण का जिक्र कर भारत की संस्कृति ,अध्ययन व विरासत से विश्व गुरु बनने की बात की ।

तीसरे सेशन मे मुख्य अतिथि रहे   पीसी डोगरा आईपीएस रिटायर्ड , डॉ मनमोहन सिंह आईपीएस रिटायर्ड रहे गेस्ट ऑफ ऑनर होंगे , अश्विनी सेकरी व  डॉक्टर अमरजीत ग्रेवाल वक्त व थिंक टैंक होंगे डॉक्टर मोहन त्यागी ,डॉक्टर हरिन्दर सिंह डॉक्टर प्रवीण कुमार की उपस्थिति विशेष रही।

सप्त सिंधु लिट् फेस्ट के आयोजकों निवेदिता ट्रस्ट के सप्त सिंधु फोरम ने बताया कि वेदों से लेकर श्री गुरु ग्रंथ साहिब तक, विश्व की प्रथम पुस्तक, प्रथम व्याकरण, प्रथम नगर, प्रथम विश्वविद्यालय, विज्ञान-चिकित्सा-कला-अध्यात्म- वास्तुकला -शिक्षा-न्याय व्यवस्था-लोकतंत्र  को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए हुए प्रयास  ।  सप्तसिंधु लिट् फेस्ट में   सिंधु सभ्यता  का आज के युग में  तेजी से बदल रहे परिप्रेक्ष्य में युवाओं को अपनी जड़ों से जुड़ कर अपने पूर्वजों की जानकारी , स्वभाव ,संस्कृति से रूबरू होने का मौका रहा ।

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