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सप्त सिंधु लिटरेचर फेस्टिवल: दूसरे दौर के दूसरे दिन ऋग्वेद पर रहा केंद्रित

चंडीगढ़  ( प्रोसन बर्मन  ) : सप्त सिंधु लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दौर के दूसरे दिन ऋग्वेद पर केंद्रित रहा .पंजाब विधानसभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवा ने दर्शकों की गैलरी में बैठकर सेशन अटेंड किया .तीसरे सेशन में हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता  ने चौथे सेशन में सप्त सिंधु सभ्यता के आज के युवाओं पर प्रभाव की बात की .पहले सेशन में डॉ रवैल सिंह ने कहा कि ऋग्वेद सिर्फ एक ऋषि की नहीं बल्कि इसमें कई ऋषियों का सारांश सम्मिहीत है , संस्कृत हमारी पुरातन भाषा है व सारे विश्व को एक सूत्र में बांध रखा है।


डॉ रविंदर सिंह ने कहा कि सप्त सिंधु सभ्यता ही आधार है व ऋग्वेद ज्ञान का सागर है व सारे विश्व को ज्ञान का प्रेरणादायक है।डॉ नन्दिता ने वेदांत फिलासफी की बात की , उन्होंने कहा कि जो भी हम देख रहे हैं यह सब हमें भृमित करता है, सारा संसार ही भृम के समान है ।मुख्य अतिथि डॉ जगबीर सिंह ,सेंट्रल यूनिवर्सिटी बठिंडा के चांसलर ने सँस्कृत की महत्ता की बात की , गुरबाणी को पूर्ण रूप से समझ कर ही भारतीय दर्शन को जाना जा सकता है , और इसके लिए सँस्कृत आवश्यक है । हमें वेस्टर्न कल्चर का अनुसरण करने के बजाय अपनी पुरातन लेकिन किसी भी मायने में मॉडर्न सभ्यता से कम न आंके जा सकने वाली सभ्यता का अनुसरण करना चाहिए।

आयोजक निवेदिता ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए डॉक्टर वीरेंद्र गर्ग ने मुख्य अतिथि डॉक्टर जगदीश सिंह द्वारा असत नहीं सी तदों नहीं सत सी , को लयबद्ध कर पंजाबी में गीत रचने की विनती पंजाबी लोक गायिका सुखी बराड़ को की ताकि आज का पंजाबी युवा भी इससे लाभान्वित हो।

दूसरे सेशन में जपजी साहिब व उपनिषदों की बात हुई.डॉ  योगराज ने जपजी साहिब प्रथम पातशाह गुरु नानक देव जी बारे विचार प्रकट किए , उन्होंने नाम सुमिरन सच बोलने कीरत करने व   वंड छकने को दोहराया।डॉ जगदीप सिंह  ने श्रुत्ति की परंपरा को वाणी से जोड़कर देखने की बात कही।

तत्पश्चात संस्कृत विभाग के मुखी डॉक्टर अलंकार ने बताया कि वैंकूवर में 2018 में वर्ल्ड संस्कृत कांफ्रेंस के मौके पर एक विशेष भूत में पंजाब और संस्कृत के विशिष्ट रिश्तों पर बात की जा रही थी , किसी भी फेस्टिवल में यदि संस्कृति पर चर्चा हो तो पंजाब की बात आना आवश्यक होता है । वाहेगुरु के बारे में विस्तार से बताते हुए डॉ अलंकार ने बताया कि वाह का अर्थ है ज्ञान को आगे लेकर जाना , गुरु यानी परम्परमेश्वर ।ज्ञानी हरदीप सिंह जैन व बौद्ध धर्म बारे विस्तार पूर्वक व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि ब्रह्म एक ही है ब्रह्मा का ज्ञान भी एक है और ज्ञान ब्रह्म के साथ ही अवतरित हो रहा है।

आज के सैशन में सप्त सिन्धु अवार्ड पाने वालों में प्रमुख रहे डॉ अंशु कटारिया , आर्यन्स ग्रुप ऑफ कॉलेज ,  सुरिंदर सिंह,  लोक गायिका सुखी बराड़ , एस सी रल्हन ,जितेंद्र मित्तल , डॉ मुकुल अरोड़ा ,डॉ रचना शर्मा , बाबा सुरिंदर सिंह  , यादविंदर सिंह, गुरप्रीत सिंह , रंजीत सोहल ,कनिका जिंदल ,अंजुम मोदगिल ,  

आयोजक निवेदिता ट्रस्ट की ओर से मीनाक्षी अग्निहोत्री , डॉक्टर हरीश,डॉ परवीन , डॉ जतिंदर ग्रोवर   , कल्याणी सिंह , मोनिका जिंदल अंजू बाला, कुंवर जगमोहन , डॉक्टर विमल अंजुम ,शिवानी सिंह , गौरव जिंदल , एडवोकेट  प्रभजोत , एडवोकेट ख़ुशबीर भुल्लर  , शिवानी अग्रवाल , डॉ बलजीत सिंह  आदि मौजूद रहे।

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