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पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने 'चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए शिक्षा नीति - 2025' का शुभारंभ किया

 चंडीगढ़, चंडीगढ़ प्रशासन ने आज एक ऐतिहासिक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए "चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश में दिव्यांग छात्रों के लिए शिक्षा प्रदान करने की नीति - 2025" का औपचारिक शुभारंभ किया। इस समावेशी शिक्षा नीति का शुभारंभ पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक श्री गुलाब चंद कटारिया ने पंजाब राजभवन में किया। यह नीति न केवल शिक्षा के क्षेत्र में समावेशिता की दिशा में एक सशक्त पहल है, बल्कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त समानता, सम्मान और अधिकारों की भावना को भी सुदृढ़ करती है।


इस अवसर पर राज्यपाल  गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि किसी भी समाज की सच्ची प्रगति का पैमाना यह है कि वह अपने सबसे कमजोर वर्गों को कैसे सशक्त बनाता है।  उन्होंने कहा, "यह नीति केवल स्कूलों के द्वार खोलने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह बच्चों की अंतर्निहित प्रतिभा और क्षमता को निखारने का भी एक माध्यम है। चंडीगढ़ को गर्व है कि हम शिक्षा के क्षेत्र में समान अवसर और समावेशिता की भावना को मज़बूत कर रहे हैं।"

यह समावेशी शिक्षा नीति दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (RPwD अधिनियम) के अनुरूप तैयार की गई है और इसका उद्देश्य मानक दिव्यांगता वाले बच्चों को समान अवसर, आवश्यक शैक्षिक संसाधन और गरिमापूर्ण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। इस नीति के तहत, दिव्यांग बच्चों को 18 वर्ष की आयु तक सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित की जाएगी। जो बच्चे स्कूल नहीं आ सकते, उन्हें घर-आधारित शिक्षा प्रदान की जाएगी, जिसके अंतर्गत परिवहन भत्ता और सहायक सेवाएँ भी प्रदान की जाएँगी।

प्रवेश प्रक्रिया को भी पूरी तरह से भेदभाव मुक्त और समान अवसरों पर आधारित बनाया गया है। दिव्यांग बच्चों को सर्व समावेशी पड़ोस के स्कूलों में प्रवेश का अधिकार मिलेगा, जबकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 25% EWS/वंचित वर्ग कोटे में दिव्यांग बच्चों के लिए 3% आरक्षण निर्धारित किया गया है।  इस नीति के अनुसार, निजी मान्यता प्राप्त विद्यालयों के लिए विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को प्रवेश देना और उन्हें उचित शैक्षिक सहायता प्रदान करना भी अनिवार्य होगा।

इस नीति में समावेशी कक्षाओं के संचालन, पाठ्यक्रम अनुकूलन, ब्रेल पुस्तकें, बड़े अक्षरों में लिखी पाठ्य सामग्री, सांकेतिक भाषा संसाधन और विशेष मूल्यांकन प्रणाली के लिए प्रशिक्षित विशेष शिक्षकों की अनिवार्य उपस्थिति सुनिश्चित की गई है। साथ ही, गंभीर रूप से विशेष बच्चों के लिए विशेष विद्यालयों और एकीकृत शिक्षा केंद्रों के साथ समन्वय की भी व्यवस्था की गई है। कक्षा 9 से ही व्यावसायिक और कौशल प्रशिक्षण प्रदान करके दिव्यांग छात्रों को भविष्य के लिए आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जाएगा।

शिक्षकों, अभिभावकों और सहपाठियों के लिए नियमित प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान चलाए जाएँगे ताकि एक संवेदनशील और सहायक शिक्षण वातावरण विकसित किया जा सके। इस नीति के अंतर्गत प्रत्येक विद्यालय में एक शिकायत निवारण समिति का गठन और राज्य स्तर पर एक निगरानी समिति की स्थापना भी की गई है, ताकि सभी स्तरों पर प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।

राज्यपाल  गुलाब चंद कटारिया द्वारा जारी यह नीति न केवल शिक्षा के क्षेत्र में एक नया अध्याय है, बल्कि सामाजिक न्याय, समावेशिता और करुणा के मूल्यों को सुदृढ़ करने का एक प्रेरणादायक प्रयास भी है।  यह स्पष्ट संदेश देता है कि "विकलांगता कोई विकलांगता नहीं है, और यदि प्रत्येक बच्चे को सही वातावरण और अवसर दिए जाएँ, तो वह अपनी प्रतिभा से समाज को गौरवान्वित कर सकता है।"

इस अवसर पर चंडीगढ़ के मुख्य सचिव  राजीव वर्मा, राज्यपाल के प्रधान सचिव  विवेक प्रताप सिंह, शिक्षा सचिव  प्रेरणा पुरी और स्कूल शिक्षा निदेशक  हरसुहिंदर पाल सिंह बराड़ भी उपस्थित थे।

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